आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के गगन मणà¥à¤¡à¤² में चमकते नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° पं. चमूपति
Author
Manmohan Kumar AryaDate
20-Feb-2016Category
शंका समाधानLanguage
HindiTotal Views
1143Total Comments
0Uploader
UmeshUpload Date
22-Feb-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- शांति पाà¤
- ईशवर-ईशवर खेलें
- कया आप सवामी हैं अथवा सेवक हैं
- कया वेशयावृति हमारी संसकृति का अंग है ?
- ईशवर व उसकी उपासना पदधतियां. क वा अनेक
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• व निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों की सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का जनसामानà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने के लिठ10 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², सनॠ1875 को मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ संसार से अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश करने तथा विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करने का संसार में अब तक का à¤à¤• अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ अपने समय के à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° वेदों के पारदरà¥à¤¶à¥€ मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे और निजी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚, पारिवारिक दायितà¥à¤µà¥‹à¤‚ व चारितà¥à¤°à¤¿à¤• दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾à¤“ं से पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ मà¥à¤•à¥à¤¤ थे। अतः मानवजाति की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व देश के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤ªà¤£ से उसका पोषण किया। उनके पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का सà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ देश, समाज व विशà¥à¤µ की मानव जाति पर हà¥à¤†à¥¤ अपने आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ को गति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¥ देशà¤à¤•à¥à¤¤ मिले उनमें शहीद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, रकà¥à¤¤à¤¸à¤¾à¤•à¥à¤·à¥€ पं. लेखराम, महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज, लाला लाजपतराय, लाला साईंदास सहित पं. चमूपति, à¤à¤®.à¤. à¤à¥€ थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ की सफलता के लिठअपने जीवन को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया। आज के लेख में हम आरà¥à¤¯à¤œà¤—त के उचà¥à¤š कोटि के वयोवृदà¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी के लेख के आधार पर पं. चमूपति जी के जीवन पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाल रहे हैं। हम समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि जीवित विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का सतà¥à¤•à¤¾à¤° व संगति तो लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• होती ही है, इसके साथ अपने पूरà¥à¤µà¤œ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, देशहित व धरà¥à¤®à¤¹à¤¿à¤¤ के लिठपà¥à¤°à¤®à¥à¤– योगदान देने वालों महान पà¥à¤°à¥‚षों का समय-समय पर सà¥à¤®à¤°à¤£ करना à¤à¥€ हमारे जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में सहायक होता है। इसी आशय से यह लेख पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं।
पं. चमूपति जी का जनà¥à¤® आजादी से पूरà¥à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤• पिछड़े मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® राजà¥à¤¯ बहावलपà¥à¤°, जो अब पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में है, वहां 15 फरवरी, सनॠ1893 को हà¥à¤† था। शà¥à¤°à¥€ वसनà¥à¤¦à¤¾à¤°à¤¾à¤® आपके पिता थे और माता थी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ दवी। माता पिता से आपको चमà¥à¤ªà¤¤à¤°à¤¾à¤¯ नाम मिला। कालानà¥à¤¤à¤° में जब आपकी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ फैलने लगी तो आपने अपने नाम में संशोधन कर इसको चमà¥à¤ªà¤¤à¤°à¤¾à¤¯ से चमूपति कर दिया। चमूपति का अरà¥à¤¥ सेनापति होता है। आपके दादा जी का नाम शà¥à¤°à¥€ दलपतराय था। बहावलपà¥à¤° में पं. चमूपति जी का जनà¥à¤® होने से यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वैदिक जगत में विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हो गया और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ रहेगा। पं. चमूपति जी बहà¥à¤®à¥à¤–ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ के धनी थे। बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से ही आप उरà¥à¤¦à¥‚ में कविता करने लगे थे। डा. राधाकृषà¥à¤£ जी आपके सहपाठी थे। आपके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मैटà¥à¤°à¤¿à¤• करने के बाद कालेज में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते समय आप फारसी में कविता लिखा करते थे।
बहावलपà¥à¤° à¤à¤• मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® रियासत थी और वहां उरà¥à¤¦à¥‚ फारसी का ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था। हिनà¥à¤¦à¥€ व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का वहां शायद ही अपवादसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª कोई विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ रहा हो। पं. चमूपति à¤à¥€ बी.à¤. करने तक देवनागरी के अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ से अपरिचित थे। सतà¥à¤¸à¤‚ग व संगति के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से आपको आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का परिचय हà¥à¤† और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका का परिचय पाकर आपने इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के उरà¥à¤¦à¥‚ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उसको पढ़ा। अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ से आपकी सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ नहीं हà¥à¤ˆ अतः आपने à¤à¤®.à¤. संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विषय लेकर किया। बी.à¤. तक देवनागरी अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ व वरà¥à¤£à¤®à¤¾à¤²à¤¾ से अपरिचित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में à¤à¤®.à¤. करना आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• है और शायद ये अपने समय का शिकà¥à¤·à¤¾ जगत का रिकारà¥à¤¡ à¤à¥€ हो। इसे हम असमà¥à¤à¤µ को समà¥à¤à¤µ करने वाले कारà¥à¤¯ की उपमा दे सकते हैं। इस कारà¥à¤¯ से आपकी विलकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है।
पं. चमूपति जी सात à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे जिनमें संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, हिनà¥à¤¦à¥€, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€, फारसी आदि à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। उरà¥à¤¦à¥‚ और हिनà¥à¤¦à¥€ में की गई आपकी कवितायें दैनिक, सापà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤• व मासिक रूप से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ देश की विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ पतà¥à¤° व पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† करती थीं। आपके समकालीन पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मूरà¥à¤§à¤¨à¥à¤¯ साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚, कवियों व पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने आपकी रचनाओं की मà¥à¤•à¥à¤¤ कणà¥à¤ से पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की है। आपके पà¥à¤°à¤¶à¤‚सक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में महाकवि नाथूराम शंकर शरà¥à¤®à¤¾, पं. पदà¥à¤®à¤¸à¤¿à¤‚ह शरà¥à¤®à¤¾, डा. मोहमà¥à¤®à¤¦ इकबाल, पà¥à¤°à¥‹. तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤•à¤šà¤¨à¥à¤¦ ‘महरूम’, कहानीकार सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨, महाशय जैमिनी सरशार, पं. वितसà¥à¤¤à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ ‘फिदा’, शà¥à¤°à¥€ दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ कैफी, महाशय कृषà¥à¤£, शà¥à¤°à¥€ मनोहरलाल ‘शहीद’ ‘सरोज’ आदि समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। पà¥à¤°à¥‹. तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤•à¤šà¤¨à¥à¤¦ ‘महरूम’ ने आपसे अपनी à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की à¤à¥‚मिका à¤à¥€ लिखवाई थी। ‘सारे जहां से अचà¥à¤›à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤‚ हमारा’ के रचयिता डा. इकबाल ने आपको अपना गà¥à¤°à¥‚ समान मानकर कहा था कि पं. चमूपति को देख कर मà¥à¤à¥‡ अपने गà¥à¤°à¥‚ की याद आ जाती है। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¤œà¥€ जब कविता पाठकरते थे तो शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ हो जाते थे। इसका कारण आपकी रचना की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता के साथ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ का अपना मौलिक अनà¥à¤¦à¤¾à¤œ था जो कृतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤¤à¤¾ से रहित सहज व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• होता था। मौलाना आजाद à¤à¥€ आपकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ और लेखन कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से परिचित थे। आपने दैनिक उरà¥à¤¦à¥‚ पतà¥à¤° ‘‘तेज” में आपका à¤à¤• लेख ‘गीता और कà¥à¤°à¤¾à¤¨’ पढ़कर आपसे इसी लेख की शैली में सारे कà¥à¤°à¤¾à¤¨ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया था।
पं. चमूपति जी के गदà¥à¤¯ में कावà¥à¤¯ का सा रस पाठक को मिलता है। इस संबंध में पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने लिखा है कि ‘आपके गदà¥à¤¯ में à¤à¥€ पदà¥à¤¯ का सा रस है। हिनà¥à¤¦à¥€ में आप दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित ‘सोम सरोवर’ व ‘जीवन जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿’ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को हम गदà¥à¤¯à¤®à¤¯ पदà¥à¤¯ की संजà¥à¤žà¤¾ दे तो यह कोई अतà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं है। ‘जवाहिरे जावेद’, ‘वैदिक सà¥à¤µà¤°à¥à¤—’, ‘मजहब का मकसद’ व ‘चौदहवीं का चांद’ सरीखी दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ इतनी रोचक व साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾ में लिखी गई हैं कि लेखनी उनकी साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करने में अकà¥à¤·à¤® है। आपके साहितà¥à¤¯, गदà¥à¤¯ व पदà¥à¤¯ दोनों में, कौन सा रस नहीं है? वीर रस, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ रस, करूणा रस, हासà¥à¤¯-सब कà¥à¤› आपको मिलेगा।’ पं. चमूपति जी à¤à¤¸à¥‡ महामानव थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से धन को धूल समठकर अपने देश जाति की सेवा, धरà¥à¤®-पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व धरà¥à¤®-रकà¥à¤·à¤¾ के लिठफकीरी गà¥à¤°à¤¹à¤£ की थी। आप गृहसà¥à¤¥à¥€ थे, आपके पà¥à¤¤à¥à¤° लाजपत जी से हम मिले à¤à¥€ हैं, तथापि आपने परिवार के आरà¥à¤¥à¤¿à¤• हितों की उपेकà¥à¤·à¤¾ करके तप, तà¥à¤¯à¤¾à¤— का कांटों à¤à¤°à¤¾ मारà¥à¤— सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से चà¥à¤¨à¤¾ था। आपके इस जजà¥à¤¬à¥‡ को हमारा नमन है।
आपकी à¤à¤• उरà¥à¤¦à¥‚ रचना ‘दयाननà¥à¤¦ आननà¥à¤¦ सागर’ है जिसमें आपने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पहलà¥à¤“ं पर कविताओं की रचना कर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। उनकी इस रचना से बहावलपà¥à¤° रियासत में विवाद व बवाल हो गया। मà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤® रियासत होने के कारण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ की शान में लिखे गये दो शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर रियासत के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने आपतà¥à¤¤à¤¿ की। रियासत के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ हाथ धोकर आपके पीछे पड़ गये। बवाल को शानà¥à¤¤ करने के लिठरिसासत के नवाब की ओर से आपको अपने इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर खेद वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने को कहा गया। पं. चमूपति का पकà¥à¤· था कि जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤› अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ लिखा ही नहीं है तो खेद पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करने का कोई कारण नहीं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦, वेद और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी निषà¥à¤ ा के लिठआपने अपना परिवार, जनà¥à¤®à¤à¥‚मि, सगे संबंधी और इषà¥à¤Ÿ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दिया परनà¥à¤¤à¥ à¤à¥à¤•à¥‡ नहीं। आज बहावलपà¥à¤° में उस समय जैसी असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ अनेक तथाकथित बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में देश à¤à¤° में देखने को मिल रही है। पं. चमूपति का यह तà¥à¤¯à¤¾à¤— विचारों की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ के लिठथा। सतà¥à¤¯ की वाणी मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की हितकारी होती है और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ की गौ कहलाती है। उसे दबाने का मतलब होता है देश को अधोगति में ले जाना। चमूपति जी ने अपनी आतà¥à¤®à¤¾ की आवाज को दबने नहीं दिया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का देश निकाला ले लिया। यह à¤à¥€ बता दे कि पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी हिनà¥à¤¦à¥€ कविता में अपना उपनाम ‘चातक’ और उरà¥à¤¦à¥‚ रचनाओं में ‘सादिक’ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते थे। धरà¥à¤®, दरà¥à¤¶à¤¨, इतिहास उनके मà¥à¤–à¥à¤¯ विषय थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जो लिखा बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ लिखा। उनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ था, ओज था, रस था और पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ था। आपकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता के सà¤à¥€ गà¥à¤£ थे। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पर à¤à¥€ आपका अधिकार था। इस à¤à¤¾à¤·à¤¾ में à¤à¥€ आपने सैकड़ों पृषà¥à¤ ों की सामगà¥à¤°à¥€ दी है।
पà¥à¤°à¤¾. जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने पं. चमूपति जी के जीवन की à¤à¤• छोटी परनà¥à¤¤à¥ सदाचार संबंधी à¤à¤• बड़ी घटना पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की है। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• बार पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी सपरिवार रेल यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे थे। आरकà¥à¤·à¤£ करवा रखा था। टिकट चैकर आया। टिकट देखकर आगे चलने लगा तो पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने आधा टिकट बनाने के लिठकहा। उसने कहा, ‘‘आधा टिकट किसके लिà¤?’’ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने अपने ननà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¤à¥à¤° लाजपत की ओर संकेत किया। टीटी ने कहा, ‘‘इसकी कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾, यह तो चलता है।” पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने कहा, ‘‘यह कल तीन वरà¥à¤· का हो गया सो आज इसका आधा टिकट बनना ही चाहिà¤à¥¤ तीन वरà¥à¤· से à¤à¤• दिन ऊपर हो गया है।” इस पर टीटी ने कहा, ‘‘लगता है कि आप आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ हैं। à¤à¤¸à¤¾ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤µà¤¾à¤¦à¥€
ALL COMMENTS (0)